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Bachedani Me Ganth: बच्चेदानी में गांठ के कारण, लक्षण और इलाज की पूरी जानकारी

Bachedani Me Ganth बच्चेदानी में गांठ के कारण, लक्षण और इलाज की पूरी जानकारी

महिला की बच्चेदानी में गांठ होना आम बात है, इसे रसौली (Bachedani Me Ganth)भी कहा जाता है। इसके लिए आनुवंशिक या फिर हार्मोनल कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। यह गैर कैंसरयुक्त ट्यूमर होती है और इससे दर्द की संभावना भी कम रहती है। हालांकि कुछ मामलों में महिलाओं को असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। इस तरह की गांठ अपने आप ठीक हो जाती है, ऐसे में डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।

बच्चेदानी में गांठ क्या होती है? (Bachedani Me Ganth)

In this Article

प्रसव के वर्षों दौरान बच्चेदानी में गांठ होना आम बात है। यह गैर कैंसरयुक्त ट्यूमर होती है। पारिवारिक इतिहास, मोटापा या यौवन की शुरुआत में बच्चेदानी में गांठ की समस्या हो सकती है। अधिकांश महिलाओं में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। जबकि कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान समस्या हो सकती है‌। ऐसे में दवाई या फिर कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता भी हो सकती है।

बच्चेदानी में गांठ होने के मुख्य कारण (Causes of Uterine Fibroid in Hindi)

बच्चेदानी में गांठ होने के सटीक कारण का पता तो आज भी अज्ञात है, हालांकि इसके लिए निम्नलिखित कारण जिम्मेदार हो सकते हैं:

1. हार्मोनल

गर्भावस्था के लिए जरूरी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन हीं फाइब्रॉयड के लिए भी जिम्मेदार हो सकते है। हालांकि मेनोपॉज के बाद हार्मोन के लेवल में गिरावट आती है, जिसकी वजह से फाइब्रॉयड सिकुड़ने लगते हैं।

2. पारिवारिक इतिहास

अगर आपकी मां, बहन या दादी को इस स्थिति का इतिहास रहा हो तो आपको भी इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में नियमित जांच आपके लिए मददगार साबित हो सकती है।

3. एक्स्ट्रासेलुलर मैट्रिक्स (ECM)

एक्स्ट्रासेलुलर मैट्रिक्स कोशिकाओं को आपस में जोड़ने का काम करता है। फाइब्रॉयड में सामान्य कोशिकाओं की तुलना में ज्यादा ECM होता है, जो इन्हें रेशेदार या रस्सी जैसा बनाता है। इसकी वजह से भी फाइब्रॉयड का निर्माण हो सकता है।

बच्चेदानी में गांठ के लक्षण (Symptoms of Bachedani Me Ganth)

बच्चेदानी में गांठ के लक्षण गांठ के आकार, स्थान और नंबर पर निर्भर करता है, इसके कुछ आम लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग होना या फिर गंभीर दर्द होना
  • समय से ज्यादा दिन तक पीरियड्स आना
  • पेल्विक में दर्द होना
  • बार बार पेशाब आना और पेशाब करते समय दर्द होना
  • कब्ज़
  • पेट में और पीठ में दर्द होना
  • सेक्स के दौरान दर्द होना

बच्चेदानी की गांठ की जांच कैसे होती है? (Diagnosis of Fibroid Uterus in Hindi)

बच्चेदानी की गांठ की पुष्टि करने और उनके आकार और स्थान का पता लगाने के लिए कई परीक्षण किए जा सकते हैं:

1. अल्ट्रासोनोग्राफी : साउंड वेव्स की मदद से यह अंदरुनी अंगों की इमेज बनाता है, जिससे फाइब्रॉयड की जानकारी मिल सकती है।

2. MRI : यह परिक्षण मेग्नेट और रेडियो वेव्स का उपयोग करके अंदरुनी अंगों की विस्तृत इमेज बनाता है।  

3. CT स्कैन : इसमें अलग-अलग ऐंगल से अंदरूनी अंगों की विस्तृत इमेज बनाई जाती है जो फाइब्रॉयड की जांच करने में मदद करता है।‌

4. हिस्ट्रोस्कोपी : इसमें डॉक्टर स्कोप नामक डिवाइस गर्भाशय में डालते हैं। यह वेजाइना के जरिए सर्विक्स और फिर गर्भाशय में डाला जाता है।

5. लैप्रोस्कोपी :  इसमें डॉक्टर पेट के निचले हिस्से में चीरा लगाते है, जिसके बाद पतली ट्यूब में कैमरा लगाकर अंदर डाला जाता है, जिससे अंदरुनी अंगों की जांच करने में मदद मिलती है।

बच्चेदानी में गांठ का इलाज (Bachedani Me Ganth Ka Ilaj)

बच्चेदानी में गांठ के लिए अगर कोई लक्षण न दिखे तो डॉक्टर इंतजार करने के लिए भी कह सकते हैं, क्योंकि अधिकांश मामलों में मेनोपॉज के बाद गांठ अपने आप सिकुड़ जाती है। 

1. Over the Counter दवाएं : फाइब्रॉयड की वजह से दर्द या असुविधा की स्थिति में डॉक्टर ओवर-द-काउंटर दवाएं जैसे कि Acetaminophen और Ibuprofen का सुझाव दे सकते हैं।

2. आयरन सप्लिमेंट : यदि आपको अत्यधिक ब्लीडिंग के कारण एनीमिया है, तो डॉक्टर आपको आयरन सप्लिमेंट के लिए कह सकते हैं।

3. बर्थ कंट्रोल : यह फाइब्रॉयड के लक्षण जैसे कि हैवी ब्लीडिंग, पीरियड्स क्रैंप्स की स्थिति में आराम देने में मदद करती है।

4. हिस्टेरेक्टोमी : अगर दवाएं से राहत नहीं मिलती है और लक्षण ज्यादा गंभीर हो तो डॉक्टर सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं। ऐसे हीं एक सर्जरी हैं – हिस्टेरेक्टोमी। जिसमें गर्भाशय पूर्ण रूप से हटा दिया जाता है।

बच्चेदानी की गांठ से जुड़ी सावधानियां और घरेलू उपाय

बच्चेदानी में गांठ की स्थिति में निम्नलिखित घरेलू उपाय मददगार साबित हो सकते हैं:

  • फाइबर युक्त डाइट से बच्चेदानी में गांठ की स्थिति में आराम मिलता है और स्थिति को ज्यादा खराब होने से रोकने में मदद करता है। सेब, अमरूद, केला और आम जैसे फलों फाइबर की मात्रा अधिक होती है।
  • प्रिजर्व्ड फ्रूट जूस की जगह ताज़े फलों के जूस का सेवन करें। यह आपको हाइड्रेट रखने के साथ गर्भाशय के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा विकल्प है।
  • एंटीओक्सिडेंट से भरपूर ग्रीन टी फाइब्रॉयड के लक्षण को कम करने में मदद करता है।
  • बच्चेदानी में गांठ के लिए मोटापा भी जिम्मेदार होता है। इसके लिए वजन को नियंत्रित करना जरूरी है। ज्यादा वजन होने पर स्थिति गंभीर हो सकती है।  

सावधानियां

  • शराब के सेवन से बचें
  • एस्ट्रोजन को नियंत्रित करें
  • हार्मोन को असंतुलित करने वाले कैमिकल से बचें
  • कब डॉक्टर से संपर्क करें?

निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करें

  • जब लगातार पेल्विक दर्द हो रहा हो
  • हैवी या दर्दनाक पीरियड्स
  • पीरियड्स के बीच में स्पॉटिंग आना
  • पेशाब करते समय दर्द होना

कब डॉक्टर से संपर्क करें?

निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करें:

  • जब लगातार पेल्विक दर्द हो रहा हो
  • हैवी या दर्दनाक पीरियड्स
  • पीरियड्स के बीच में स्पॉटिंग आना
  • पेशाब करते समय दर्द होना

इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत Best IVF Specialist Doctor in Patna – Dr. Rashmi Prasad से संपर्क करें।

निष्कर्ष

बच्चेदानी में गांठ (Bachedani Me Ganth) होना आज के समय में आम बात है। इसके लिए पारिवारिक इतिहास, हार्मोनल परिवर्तन जैसे कई कारण जिम्मेदार होते हैं। हालांकि अधिकांश मामलों में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। सोनोग्राफी या अल्ट्रासाउंड के समय बच्चेदानी की गांठ का पता लगाया जा सकता है। कुछ महिलाओं को गांठ की वजह से पीरियड्स में समस्या जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। अधिकांश मामलों में मेनोपॉज शुरू होते ही यह गांठ सिकुड़ने लगती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है?

बच्चेदानी में गांठ के लिए पारिवारिक इतिहास या फिर हार्मोनल असंतुलन जिम्मेदार होता है।

क्या बच्चेदानी में गांठ से प्रेग्नेंसी में दिक्कत होती है?

नहीं, बच्चेदानी में गांठ की वजह से प्रेगनेंसी में कोई दिक्कत नहीं हो सकती है। हालांकि पीरियड्स के दौरान गंभीर दर्द होना जैसी समस्याएं हो सकती है।

बच्चेदानी में गांठ होने पर पीरियड्स कैसे आते हैं?

बच्चेदानी में गांठ होने पर पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग, समय से ज्यादा पीरियड्स आना, बीच में स्पॉटिंग आ सकते हैं।

फाइब्रॉइड (Fibroids) और बच्चेदानी की गांठ में क्या फर्क है?

फाइब्रॉयड भी गांठ हीं होती है, जिसे रसौली भी कहा जाता है और बच्चेदानी में गांठ मतलब गर्भाशय में गांठ होना।

बच्चेदानी की गांठ कितनी बड़ी होने पर ऑपरेशन करना पड़ता है?

 बच्चेदानी की गांठ 5-6 सेंटीमीटर बड़ी हो तो सर्जरी की आवश्यकता रहती है।

बच्चेदानी की गांठ हटाने के बाद क्या दोबारा आ सकती है?

आमतौर पर बच्चेदानी की गांठ को हटाने के बाद दोबारा नहीं आ सकती है, हालांकि यह पारिवारिक इतिहास पर निर्भर करता है।

गांठ होने पर संबंध बनाना सुरक्षित है या नहीं?

गांठ होने पर शारीरिक संबंध बनाना महिला के लिए दर्दनाक हो सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श करें। गांठ छोटी हो तो उसे दवाई के जरिए ठीक किया जा सकता है।

बच्चेदानी की गांठ खतरनाक होती है क्या?

बच्चेदानी की गांठ गैर कैंसरयुक्त होती है। अधिकांश मामलों में मेनोपॉज के बाद यह अपने आप ठीक हो जाती है।

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