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Beta HCG Test in Hindi: Beta HCG टेस्ट का सही समय और महत्व

Beta HCG Test in Hindi Beta HCG टेस्ट का सही समय और महत्व

Beta HCG  टेस्ट में व्यक्ति के ब्लड में HCG की मात्रा को मापा जाता है। यह टेस्ट विभिन्न स्थितियों में किया जाता है। जैसे कि प्रेगनेंसी में प्रगनेंसी का पता लगाने के लिए, उसकी जटिलताएं और गर्भस्थ शिशु के विकास को जानने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट (Beta HCG Test in Hindi) की मदद से ओवरी और टेस्टिकल कैंसर का निदान भी किया जा सकता है, इतना ही नहीं कैंसर ट्रीटमेंट की प्रभावशीलता का पता लगाया जा सकता है।

कुछ असामान्य स्थिति में HCG का लेवल बढ़ जाता है जिसका पता लगाने के लिए भी HCG टेस्ट किया जाता है जैसे कि आंत्र रोग, पेट का अल्सर या फिर लिवर का सिरोसिस। इस टेस्ट की मदद से डाउन सिंड्रोम, अल्सर, जर्म सेल ट्यूमर (Germ Cell Tumor) का निदान भी किया जाता है।

Beta HCG टेस्ट क्या है? (Beta HCG Test in Hindi)

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Beta HCG टेस्ट ज्यादातर महिलाओं में प्रेगनेंसी की स्थिति में किया जाता है। यह एक ऐसा हार्मोन हैं जो गर्भावस्था के दौरान स्त्रावित होता है। यह हार्मोन प्लेसेंटा द्वारा रिलीज किया जाता है और इसकी मदद से गर्भावस्था का स्टेज निर्धारित करने में मदद मिलती है।

आप हमारे (Beta HCG Test in Hindi) ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप अछे तरीके से समझ जायेंगे Beta HCG टेस्ट क्या है? कब किया जाता है? इस बारे में बहुत ही विस्तार से बताने वाले हैं। 

गर्भवती महिलाओं में यह टेस्ट नियमित किया जाता है। नियमित जांच के बावजूद भी इससे गर्भस्थ शिशु पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। इस टेस्ट की मदद से गर्भावस्था की जटिलताओं और गर्भस्थ शिशु के विकास की जांच की जाती है।

Beta HCG टेस्ट कैसे काम करता है? (How Does Beta HCG Test Work)

प्रेगनेंसी की शुरुआत में HCG का लेवल तेजी से बढ़ता है। इसलिए प्रैगनेंसी की जांच करने के लिए Beta HCG टेस्ट किया जाता है। HCG का लेवल कम होना गर्भावस्था में जटिलता का या फिर आगे जाकर मिसकैरेज होने का भी संकेत है। HCG का लेवल असामान्य तरीके से बढ़ रहा हो तो वह मोलार प्रेगनेंसी यानी कि गर्भाशय ट्यूमर बढ़ने का कारण हो सकता है।

वैसे तो प्रेगनेंसी की पुष्टि करने के लिए प्रैगनेंसी किट का भी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उसमें सिर्फ प्रेगनेंसी हैं या नहीं यह पता लगाया जा सकता है। जबकि Beta HCG टेस्ट में गर्भावस्था की पुष्टि के साथ ही दूसरे निदान भी किए जा सकते हैं।

Beta HCG टेस्ट क्यों किया जाता है? (Why is Beta HCG Test Done)

HCG टेस्ट मुख्य रूप से प्रगनेंसी का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसके लिए ब्लड और युरिन दोनों टेस्ट किए जा सकते हैं। इसके अलावा निम्नलिखित कारणों से यह टेस्ट करवाया जाता है।

  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी जिसमें फर्टिलाइज अंडा किसी असामान्य क्षेत्र में प्रत्यारोपित हो जाता है, उसकी जांच करने के लिए
  • किसी सर्जरी या ट्रिटमेंट से पहले प्रेगनेंसी हैं या नहीं यह जानने के लिए
  • डिलीवरी से पहले डाउन सिंड्रोम की जांच करने के लिए
  • जिस प्रेगनेंसी में मिसकैरेज का पहले से खतरा हो
  • गर्भावस्था संबंधित ट्यूमर GTD (Gestational Trophoblastic Disease) की जांच करने के लिए

Beta HCG टेस्ट कब करना चाहिए? (When Should You Take the Beta HCG Test in Hindi)

आम तौर पर प्रेगनेंसी के दौरान नियमित HCG  टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट से पहले यह ध्यान में रखना जरूरी है कि HCG टेस्ट गर्भधारण के 10 दिन बाद ही सटीक परिणाम दे सकता है।

  • पीरियड्स के अपेक्षित पहले दिन के अगले दिन टेस्ट किया जा सकता है।
  • IVF के जरिए प्रेगनेंसी हो तो एग कलेक्शन करने के 13-14 दिन बाद टेस्ट किया जा सकता है।
  • एग डोनेशन से गर्भधारण किया हो तो प्रोजेस्टेरोन शुरू करने के 13-14 दिन बाद कराया जा सकता है।

HCG टेस्ट के कुछ फैक्टर्स ऐसे हैं जिससे परिणाम प्रभावित हो सकता है, जो निम्नलिखित है।

1. पीरियड्स मिस होने के एक सप्ताह के बाद अगर टेस्ट किया जाए तो परिणाम सटीक मिलता है। याद रखें कि HCG का लेवल हर तीसरे दिन बदलता है।

2. टेस्ट से पहले ज्यादा पानी या फिर कोई भी तरल पदार्थ पीने से बचें क्योंकि ऐसी स्थिति हार्मोन का लेवल कम हो जाता है और परिणाम गलत भी हो सकता है।

3. HCG टेस्ट अगर सुबह सबसे पहले किया जाए तो यह सटीक परिणाम देता है। सुबह हार्मोन का लेवल सबसे ज्यादा होता है इसकी वजह से आपको सही परिणाम मिल सकता है।

4. अगर आप पीरियड्स मिस होने से पहले या तुरंत बाद टेस्ट करते हैं तो परिणाम false nagetive  हो सकता है। इसलिए परिणाम नेगेटिव हो तो फिर से 3 दिन बाद टेस्ट करना चाहिए।

5. ओवेरियन सिस्ट या फर्टिलिटी ड्रग के सेवन की वजह से टेस्ट का परिणाम false positive हो सकता है।

Beta HCG टेस्ट कैसे किया जाता है? (How is Beta HCG Test Performed)

गर्भधारण करने के 10 दिन बाद महिला के ब्लड और युरिन में HCG हार्मोन बढ़ने लगता है इसलिए HCG हार्मोन के जरिए प्रेगनेंसी का पता लगाने के लिए दो तरह से जांच की जा सकती है।

1. यूरिन टेस्ट : इस टेस्ट में आपको एक कंटेनर में कलेक्ट करने के लिए कहा जाएगा। जो बाद में जांच के लिए लेबोरेटरी भेज दिया जाएगा। हालांकि यूरिन टेस्ट से पहले आपको ज्यादा पानी या तरल पदार्थ न पीने का सुझाव दिया जा सकता है। क्योंकि ऐसे में यूरिन पतला हो सकता है और परिणाम false nagetive भी आ सकता है। इसके अलावा यूरिन में रक्त सैंपल होने पर परिणाम false positive हो सकता है।

2. ब्लड टेस्ट :  इस टेस्ट में आपके हाथ से ब्लड सैंपल कलेक्ट किया जाता है। जिसे जांच के लिए लैबोरेटरी भेज दिया जाता है।

अगर टेस्ट के परिणाम नेगेटिव है तो इसका मतलब यह है कि आप प्रेगनेंट नहीं है और अगर पीरियड्स मिस होने से पहले या फिर तुरंत बाद टेस्ट किया हो तो उसमें भी परिणाम false nagetive हो सकता है। इसलिए नेगेटिव परिणाम के तीन दिन बाद फिर से टेस्ट करवाना चाहिए। अगर टेस्ट के परिणाम पोजिटिव है तो इसका मतलब आप प्रेगनेंट हैं, लेकिन अगर आपका पोस्ट मेनोपॉज चल रहा हो या आप हार्मोन सप्लिमेंट ले रहे हो तो भी परिणाम बिना प्रेगनेंसी के भी पोजिटिव हो सकता है।

Beta HCG लेवल्स का मतलब क्या होता है? (What Do Beta HCG Levels Indicate)

1. 5 mlU/mL से कम HCG लेवल का मतलब प्रेगनेंसी नहीं है और 25 mlU/mL का मतलब आप प्रेगनेंट हैं।

2. 6 और 24 mlU/mL का मतलब गर्भावस्था की संभावना है, ऐसे में आपको कुछ दिन बाद फिर से टेस्ट करने की आवश्यकता है।

3. जैसे जैसे प्रेगनेंसी आगे बढ़ने लगती है वैसे ही HCG का लेवल बढ़ने लगता है।

4. कभी कभी HCG लेवल कम होने के बाद भी गर्भस्थ शिशु स्वस्थ हो सकता है। 5-6 सप्ताह के बाद अल्ट्रासाउंड का परिणाम HCG की तुलना में अधिक सटीक होते हैं।

Beta HCG टेस्ट के फायदे (Benefits of Beta HCG Test in Hindi)

Beta HCG टेस्ट के फायदे निम्नलिखित है।

1. प्रेगनेंसी की पुष्टि की जा सकती है, इतना ही नहीं गर्भस्थ शिशु के विकास को भी मोनिटर किया जा सकता है।

2. प्रेगनेंसी में इसकी नियमित जांच होती है लेकिन फिर भी इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

3. अगर मिसकैरेज की संभावना हो तो इसका भी पहले से पता चल सकता है।

4. असामान्य प्रेगनेंसी की अवस्था का निदान किया जा सकता है।

5. कैंसर की ट्रीटमेंट चल रही हो तो उसके परिणाम का पता लगाया जा सकता है  

Beta HCG टेस्ट के सीमाएं (Limitations of Beta HCG Test in Hindi)

प्रैगनेंसी की अवस्था में Beta HCG टेस्ट काफी मददगार साबित होता है, लेकिन इस टेस्ट की कुछ सीमाएं भी है जो निम्नलिखित हैं।

1. Beta HCG टेस्ट का परिणाम समय पर निर्भर करता है। अगर प्रेगनेंसी की शुरुआत हीं हुई हो तो इसका परिणाम false nagetive हो सकता है।

2. फर्टिलिटी ड्रग जैसी कुछ दवाइयों का सेवन भी परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

3. ज्यादा पानी या तरल पदार्थ पीने के बाद टेस्ट करने पर परिणाम false nagetive हो सकता है, क्योंकि पतले यूरिन में HCG की मात्रा डिटेक्ट नहीं हो पाती।

4. जर्म सेल ट्यूमर की स्थिति में HCG लेवल बढ़ जाता है ऐसे में परिणाम false positive हो सकता है।

निष्कर्ष

Beta HCG हार्मोन (Beta HCG Test in Hindi) को प्रेगनेंसी हार्मोन भी कहा जाता है। ब्लड या यूरिन टेस्ट से इसकी जांच की जाती है। गर्भधारण करने के 11 दिन बाद ब्लड टेस्ट और 12-14 दिन बाद यूरिन टेस्ट किया जाए तो इसका सटीक परिणाम मिलता है। आम तौर पर हर 72 घंटे बाद HCG का लेवल दो गुना हो जाता है। अगर इनफर्टिलिटी संबंधी समस्याओं से जूझ रही हैं तोह आज ही आपको Beta HCG टेस्ट की आवश्यकता है? तोह देर किस बात की आज ही पटना के सबसे प्रसिद्ध IVF Specialist Doctor रश्मि प्रसाद से  विशेषज्ञ परामर्श प्राप्त करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Beta HCG का सामान्य स्तर क्या होता है?

जो महिला प्रेगनेंट नहीं होती उनमें Beta HCG का सामान्य स्तर 5 mlU/mL होता है।

Beta HCG टेस्ट से प्रेगनेंसी कितने दिनों में पता चलती है?

पीरियड्स मिस होने के दूसरे दिन यह टेस्ट किया जा सकता है लेकिन सटीक परिणाम के लिए पीरियड्स मिस होने के 10 दिन बाद टेस्ट करना चाहिए।

Beta HCG टेस्ट कब करना चाहिए प्रेगनेंसी के लिए?

प्रेगनेंसी के लिए Beta HCG टेस्ट अगर सुबह सबसे पहले किया जाए तो इसका परिणाम सटीक मिलता है।

अगर Beta HCG का लेवल कम हो तो इसका क्या मतलब है?

अगर Beta HCG टेस्ट का लेवल कम हो तो इसका मतलब प्रेगनेंसी नहीं है लेकिन अगर पीरियड्स मिस होने के तुरंत बाद या फिर प्रेगनेंसी की शुरुआत में टेस्ट किया हो तो परिणाम false nagetive भी हो सकता है।

Beta HCG लेवल गिरने का क्या कारण हो सकता है?

Beta HCG लेवल गिरने कके पीछे मिसकैरेज, एक्टोपिक प्रेगनेंसी, दवाइयां जैसे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके सहीं कारण के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।

 क्या Beta HCG टेस्ट सेफ है?

Beta HCG टेस्ट प्रेगनेंसी में नियमित करवाया जाता है लेकिन इसका मां या फिर गर्भस्थ शिशु पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।

Beta HCG टेस्ट के लिए तैयारी कैसे करनी चाहिए?

अगर आप यूरिन टेस्ट करवा रहे हो तो ज्यादा पानी या तरल पदार्थ न पीएं, कोई दवाई का सेवन कर रहे हो तो टेस्ट से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें ताकि false positive या negative परिणाम से बचा जा सके।

Beta HCG टेस्ट क्या है और यह क्यों किया जाता है?

Beta HCG टेस्ट ब्लड में HCG नामक हार्मोन का पता लगाने के लिए किया जाता है। वैसे तो कई बीमारियों का निदान करने के लिए यह टेस्ट किया जाता है लेकिन सबसे ज्यादा प्रैगनेंसी की जांच करने के लिए किया जाता है।

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